रामायण काल से जुड़ल बाबा हलेश्वर धाम के इतिहास
भाग 1
सीतामढ़ी शहर से सटे फतेहपुर गिरमिसानी में हलेश्वर नाथ महादेव बहुते दयालू छथिन। इहा आ के जलाभिषेक आ पूजा करे वाला के सभहे मनोकामना पूर्ण होइ हय। इहा के शिवलिंग के स्थापना स्वयं राजा जनक जी कैने छथिन आ राम जानकी जी भी इहा आ के पूजा कैने रहथिन कारण महत्व और बढ़ जाइ हय। इहे से हर जोते के दौरान पुनौराधाम में जानकी जी धरती से उत्पन्न भेल रहथिन आ इलाका में आकाल के साया समाप्त भ गेल रहे पुनः मिथिला जल के त्रासदी से जूझ रहल हय मिथिला लेल बहुत चिंता के विषय हय। लेकिन अखनो अइ इलाका के समृद्धि के लेल अखनो किसान परिवार सब बाबा पर जलाभिषेक करैत छथिन। लोग सुख, समृद्धि,शांति,खुशहाली, पुत्र,विवाह आदि लेल बाबा पर जलाभिषेक आ रुद्राभिषेक आदि करैत छथिन।
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सीतामढ़ी शहर से लगभग 7 किलोमीटर के दूरी पर स्थित हलेश्वर स्थान में त ओना सालों भर श्रद्धालु दर्शन आ जलाभिषेक लेल पहुंचई हय लेकिन साओन में इलाका हर हर महादेव के जयघोष से गुंजित रहई हय। साओन में इहा लाखों के संख्या में भीड़ आबई हय।
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पड़ोसी देश नेपाल के नुनथर पहाड़ आ सुप्पी घाट बागमती नदी से जल ले के कांवरिया के जत्था हलेश्वर नाथ महादेव के जलाभिषेक लेल आबै हय। साओन में इहा मुंडन,पूजन,अराधना,भजन, कीर्तन होइत रहई हय। ई स्थल खाली लोक आस्था के न प्रतीक हय बल्कि इहा पर मनोकामना मांगे वाला के भी सब मनोकामना पूर्ण होई हय।
Conclusion

