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Jallianwala Bagh Massacre जालियावाला बाग हत्याकांड मैथिली में

जालियावाला बाग नरसंहार के 104 साल पूरा भ गेल अछि । 13 अप्रैल, 1919.... ई तारीख थिक, जकरा मोन पाड़ैत देश सिहरि गेल।अमृतसरक जालियावाला बाग मे अंग्रेज शासन भारतीयक खून सँ होली खेलाइत छल। 104 साल बीति गेलाक बादो ओ दिन बिसरल नहि जाइत अछि। ई अंग्रेज पर एकटा खूनी दाग ​​अछि जे कहियो मेटा नहि सकैत अछि । 


ओहि समय महात्मा गांधी के आह्वान पर पूरा देश मे रोलट एक्ट के विरोध भ रहल छल। पंजाब सेहो एहि स अछूत नहि छल, 6 अप्रैल कए अमृतसर मे एकटा पैघ बैसार भेल । जेकरऽ वजह स॑ पंजाब पुलिस प्रशासन न॑ स्वतंत्रता आन्दोलन केरऽ दू बड़ऽ नेता सत्यपाल आरू डॉ. किचलू क॑ गिरफ्तार करी लेलकै । जकर कारण अमृतसर मे लोक आक्रोश स भरल छल। 


13 अप्रैल 1919 के बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियनवाला बाग में स्वतंत्रता सेनानी सब अपन नेता के गिरफ्तारी के विरोध में जमा भ रहल छल | जलियानवाला बाग मे 15 हजार लोकक जुटान शुरू भ चुकल छल। ई सब देखि अंग्रेज सरकार पहिने सँ हिल गेल छल, अंग्रेज सरकार आओर भड़कि गेल छल । पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ डायर किछ करय चाहैत छलाह, हुनकर माथ खूनी जोश सं भरल छल। 



तकरा बात 13 मार्च 1940 कए ईस्ट इंडिया एसोसिएशन आ रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी क बैसार लंदन क कैक्सटन हॉल मे चलि रहल छल । जतय शहीद उधम सिंह पहुँचि गेलाह आ हुनका संग एकटा किताब छलनि । पन्ना काटि कए एहि पोथी मे एकटा बंदूक राखल गेल छल । एहि बैसारक अंत मे उधम सिंह किताब मे सँ बंदूक निकालि डायर पर गोली चला देलनि। डायर क॑ दू गोली लगलै आरू पंजाब केरऽ ई पूर्व गवर्नर केरऽ मौका प॑ ही मौत होय गेलै । 


वीर सपूत उधम सिंह जी फायरिंग केलाक बाद सेहो ओ भागबाक प्रयास नहि केलन आ गिरफ्तार भ गेलन। हुनका पर ही ब्रिटेन में मुकदमा चललै आरू उधम सिंह क॑ 4 जून 1940 क॑ हत्या के दोषी ठहरालऽ गेलै आरू 31 जुलाई 1940 क॑ पेंटनविले जेल म॑ फांसी देलऽ गेलै।
Mithila Space
शहीद उधम सिंह जी के श्रंद्धाजलि हम 2 टा पंक्ति कहब :


नहि केलियै कहियो ककरो पर पहिल वार,
लेकिन बदला लेईत छी,जा के सात समंदर पार...!!!



पुनः वर्ष 2013 मे 94 साल बाद भारत आयल तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अमृतसर के जलियनवाला बाग पहुंचलाह। कैमरन ओतय शहीद के श्रद्धांजलि दैत कहलनि जे 1919 के घटना सचमुच एकटा शर्मनाक घटना छल आ माथ झुका क शहीद के श्रद्धांजलि देलनि। ओ आगंतुकक पोथी मे लिखने छथि जे जलियानवाला बागक घटना बहुत शर्मनाक छल।




हम मातृभाषा में संक्षिप्त में जलियांवाला बाग हत्याकांड पर लिखी के सब शहीद क्रांतिकारी के श्रद्धांजलि देबे के एकटा छोट प्रयास कैलियै इ अर्टिवकल केहन लागल आहाँ सब जरूर कहब।